रात की सवारी | भूतिया कहानी,

Wiki Article

राजीव वेसे तो कभी कभी जंगल जाता था पर वो हमेशा काम से जी चुराता था!पर आज उसे मजबूरी मैं जंगल जाना पड़ा वो रास्ते मैं चलता गया उसे कहीं भी पास मैं चारा नहीं मिला

क्योंकि पास के सारे पेड़ तो पहले से ही बकरियों के लिए काट चुके थे!

वो जंगल के और अंदर चला गया वो घने जंगल मैं पहुँच गया!जहाँ पर बहुत पास-पास पेड़ खड़े हुए थे!पेड़ इतने घने थे कि आसमान तो नजर ही नहीं आ रहा था!

बरसात का टाइम था अच्छी बरसात हो गयी थी तो पूरा जंगल हरा भरा हुआ था!पत्थरों पर पानी ऐसे बह रहा था जैसे साफ़ कोई झरना बह रहा हो!

पहाड़ों से नीचे की और आता हुआ पत्थरों पर साफ़ पानी बह रहा था वहां पर इतनी शीतलता थी की उसकी देखते ही थकान दूर हो गयी
read this

उसने सोचा की पहले मैं थोडा आराम कर लूं फिर मैं पत्तियां काट कर घर चला जाऊँगा थोड़ी देर ही हुई थी उसे सोये हुए उसने सपना देखा कि वह चारे के चक्कर मैं बहुत दूर आ गया है और वह रास्ता भूल गया है!
read this

उसने सपने मैं देखा कि उसके सामने कोई खड़ा है उसकी शक्ल देखते ही उसकी आंखें खुल गयी और वह डर गया अब उसे और ज्यादा डर लगने लगा अब चारा तो काट रहा था!
read this
पर वह सपने की बात याद करके बहुत घबराया हुआ था! उधर सूरज भी ढलने वाला था!उसके हाथ दूर-दूर तक किसी की भी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी!

वह जल्दी जल्दी पत्तियां काट ही रहा था की उसे आपस मैं बातें करते हुए एक आवाज सुनाई दी उसने सोचा कोई आदमी होगा तो मैं उसी के साथ घर चला जाऊँगा उसने जल्दी से पत्तियां बांधीऔर वह आवाज आ रही थी

उधर की ओर चल दिया पास पर उसने यह ध्यान नहीं किया की वो आया किधर से है ओर किधर जा रहा है!
read this
वह उल्टा जंगल मैं घुसता चला गया आवाज ओर साफ़ सुनाई देने लगी तो वह ओर आगे बढ़ा उसने देखा कि दो लोग आपस मैं बातें कर रहे हैं ओर उनकी पीठ दिखाई दे रही है उसने उनके पास जाकर बोला क्या तुम मुझे घर जाने का कोई छोटा रास्ता बता सकते हो इतना

उसने कहते ही वो दो लोग उसके सामने से ऐसे फुर्र हुए कि वहां कोई था भी या नहीं उनके गायब होते ही उसके पशीने छूट गए ओर वह बेहोश हो गया जब उसे होश आया
read this
तो वह क्या देखता है कि वो सपने वाला आदमी उसके सामने खड़ा है बड़ी-बड़ी लाल आंखें दांत बहार निकले हुए ऊपर से नीचे तक इतना भयानक कि वह डर गया ओर पागल सा होकर भागने लगा उसने देखा कि एक भालू उसकी ओर भागता हुआ

आया ओर उसके ऊपर झपटा उसे लगा कि अब नहीं बचने वाला उसके तो होश ही उड़ गए वह एक दम बैठ गया ओर वह भालू ऊपर से निकल के नीचे गिरते ही वह आदमी बन गया उसके गाल
read this
पिचके हुए हाथ टेढ़े ओर पैर उलटे यह लम्बी दाड़ी ओर दांत होठ कटकर बहार निकले हुए राजीव तो बस उसे देख रहा था पर उसके होश ठिकाने नहीं थे!वह वहीँ पर गिर पड़ा इधर घर वालों को चिंता हो रही थी कि

अँधेरा हो गया राजीव अभी तक क्यों नहीं आया उसके बड़े भाई ने कहा कि अभी आता ही होगा सब लोग जब इंतज़ार करके थक चुके थे रात के १० बज चुके थे!रात की सवारी | भूतिया कहानी

Report this wiki page